कुं. चन्द्र सिंह "बादळी"

जीवन परिचय

*जन्म -27 अगस्त 1912
*देहावसान -14 सितम्बर 1992

Tuesday, June 29, 2010

जफरनामो (मुग़ल बादशाह ओरंगजेब नै लिख्योड़ो गुरु गोविन्दसिंह रो पत्र )

<<<<<<<<<<<<<<<<राजस्थानी अनुवाद >>>>>>>>>>>>
प्यालो दे साकी वो, केसर रंग
साधे काम म्हारलो, जाग्याँ जंग
दाव असली दे इसो, ताजो तेज
कढ़े मोती काद सुं, लगे जेज

सिमरु इस तेग रो सिरजणहार !
बाण, ढाल, बरछी भल तेज कटार !!
सिमरु इस रच्या जिण, रण जूझार !
पून वेग दोड़तां, भल तोख़ार !!
बादशाही तने दी, जिण करतार !
धरम धारण धन दियो, मने अपार !!
तुरक ताजी छल तने, दी करतार !
दीन सेवा मने दी,उण दातार !!
फबे नह नाम , थारो ओरंगजेब !
नाम ओरंगजेब, नाह फरेब !!
खोटे करम बना रो, खाक मंदी !
गुन्धी भाया रंगतां, भारी रीत !!
.घर बणा माटी रो, मांडी नीव !
सुख संपत भाले तू, जड़ अतीव !!
.बेवफा ज़माने रो, चक्कर देख !
जीव बदले देह धर, मीन मेख !!
.सतावै जे तू, मिनख जान गरीब !
कसम खुदा ने चीर, इण तरकीब !!
१०.साईं जे साथी हो, हक़ री बात !
भावे सो रूप धारे, वै ही मात !!
११.बैरी करे दुश्मनी, बार हज़ार !
बाळ बांको हुवे साईं लार !!

1 comment:

  1. प्रिय संग्राम सिंह जी अपना ई-मेल पता भेजें neerajdaiya@gmail.com

    ReplyDelete

कुं.चन्द्र सिंह "बादळी"