कुं. चन्द्र सिंह "बादळी"

जीवन परिचय

*जन्म -27 अगस्त 1912
*देहावसान -14 सितम्बर 1992

Monday, December 27, 2010

काळजै री कोर by चंद्र सिंह बादळी

१. नद तट रुंख उखाडियो,बच्चा आलण माय !
मौत डरे नह कागली, साथै बहती जाय !!
२.भुआ, गाँव तलाब कुण, उल्टायो आकास !
उड्या न हंसा उण समै, कमळ न बिखरया खास !!
रूप- सिणगार
१. ऐकल कालो हिरण जब, बायों पलटे काज !
बे आंख्या जळकाजळी, लोपण दूभर राज !!
२.कंगण-कोर उजाळती,हळदी उबटन हाथ !
कुण भागी होसी भलां, रमसी थारै साथ !!
३.हरखी हाळी लाडली,ओढ़ नवल्लो चीर !
संकड़ी गलीयां गाँव री,बदियो इसो सरीर !!
४.बांकी चितवन बांक गत,बांका बांका बोल !
बेटी बांकी तुझ वरे, आ बांकी अनमोल !!
प्रेम----
१.सुख में दुःख में एक गत,एक जान दो खोड़ !
भला पुरबला पुन्न बिन, मिलै न इसडी जोड़ !!
२.आँख गडायां हिरण में,हिरणी छोड़यां प्राण !
याद व्याध धण री करी,छुटी हाथ कबाण !!
३.नीलकमल काना खिले, रज उड़ नैना आये !
फूंक मार मुख चूम ले,कुणसो देव बताय !!
४.साले सखी कदम्ब तरु,और न साले कोय !
आवे कम गुलेल ले, उण रे पुस्पाँ सोय !!
५.बा धण धिन है बापड़ी, सपने देख्या सेण !
पी बिन नींदडली कठे, नैण घुल़ाऊँ रैण !!
६.चंद्रमुखी थारै बिना,चाँद रह्यो तरसाय !
चार पहर री चानन्णी, सौ पहरा जिम जाय !!
७.पथिक वधु बळी देवता, कंगण पडियो आय !
जाणे कुडको रोपियो ,इण दर काग न खाय !!
८.सुख सुमरण प्रिय संग रो, ज्यूँ ज्यूँ आवै ध्यान !
नुए मेघ री गाज आ, बाजै मौत समान !!
९.आखै दिन हाळी खपे, सोवै साँझ निढाल !
हालन जोबन कसमसे, बरसाले मत बाळ !!
१०.हाळी धण जद सुं बणी,कुटिल काळ रो ग्रास !
बसती बो नह बावड़े, हाळी जंगल बास !!
वीरपति
१.घावा बस जागे कुंवर, धण रे नींद न नैण !
सुख सोवे सो गाँव अब, दोरी उण ने रेण !!
२.धनस पिव रो बज्र सो,पड़ी कान टंकार !
बंदी खुद चट पुंछियां, आँसूं बंदी नार !!
३.कोरी बादळ गाज आ, नाह धनस टंकार !
मत हरखे मुझ प्यार दे, पिव न आवे लार !!

1 comment:

  1. घणी खम्मा !
    आदर जोग '' बादळी '' री रचनाओं बांच आछो लायो .
    घणी खम्मा !

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कुं.चन्द्र सिंह "बादळी"