पाड़ सुहागो प्रेम सुं, बीजी चोखी धान !
हाळी हाकम लेयसी, पड़े न चुक किसान !!
सोनी हाट उठायले, अठे न दिसे सार !
बाजेली इण बास में, घणा तंनी धमकार !!
रेसम रा लच्छा बुने, कीड़ा तूं कटरूप !
सांप भखण रों काम बस, ध्रिग-ध्रिग मोर रूप !!
कलिया काळ कहावता, आज कही जों फूल !
कुमला जास्यो काल थे, बाँटो बास समूल !!
गूंगा भोगे गाँव, स्याणा सिसकारा भरे !
नारायण ओ न्याव, चित में साले चन्द्रसी !!
मिले चका चक चुरमो, साथी आवे सो !
चीणा चाबात देख बस, छिन्न छुमंतर हो !!
Great poem bro.
ReplyDeleteReally he was a great poet...
mahan hasti ko naman
ReplyDeleteReally nice couplets by a great poet from near my native region. I could understand it except 'चित में साले चन्द्रसी !'Can some one tell its meaning?
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