लिछमी सागर निसरी, देव रहया ललचाय !
यूँ ही गौरी रूप में, पंथी आँख गडाय !!
मोह़े मन आ मंत्र जयुं बालपने में बाल !
जोब छासी जिण समै, कामी जण के हाल !!
एकल कालो हिरण जब, बांयो पळटे काज !
बै आँखया जळ काजळी, लोपण दूभर राज !!
कगन कोर उजालती,
हल्दी उबटन हाथ !
कुण भागी होसी भलां, रमसी थारे साथ !!
हरखी हाली लाडली, ओड नवल्लो चिर !
संकडी गलियां गाँव री, बधियो इसो शरीर !!
बांकी चितवन बांक गत, बांका-बांका बोल !
बेरी बांकी तुझ वरे, आ बांकी अणमोल !!
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