कुं. चन्द्र सिंह "बादळी"

जीवन परिचय

*जन्म -27 अगस्त 1912
*देहावसान -14 सितम्बर 1992

Sunday, February 7, 2010

*लू*


कोमल-कोमल पांखडया, कोमल-कोमल पान !
कोमल-कोमल बेलडया, राख्या लुआं ध्यान !!

लुआं लाग पिळीजिया, आमाँ हाल-बेहाल !
पीजूं मरुधर पाकिया, ले लाली जूं लाल !!

धरा गगन झउगले, लद-लद लुआं आग !
चप-चप लागे चरडका, जीव छिपाली खाय !!

भैसां पीठा चिकनी, ऊपर लुआं आग !
बेदी सी दिसे बणी होम धूंवासो लाग !!

चेती सौरभी चूस ली, कल्या गयी कुमलाय!
फुला बिछड़ी पाखडया, लुआं बाजी आय !!

जिण दिन झड़ता देखिया, पायो दुःख अणमाय !
णसी आपे बेलडया , मत ना सेको ताप !!

सांगरिया सह पाकियाँ, लुआं री लपटाहं !
खोखा लाग्या खिरण ने, दे झाला हिरणाह !!

जे लुआं थे जानती, मन री पीड !
बादळीया ने जनम दे , भली बंटाती भीड़ !!

प्रीतम रो मुख पेखता, हिवड़ो होवे हेम !
लुआं पण रोके मिल
, भलो निभावे नेम !!

लुआं थारे ताव में, दीन्हो सब कुछ होम !
करे तपस्या मुरधरा, बिलखे बीजी भोम !!

1 comment:

  1. राजस्थानी भासा रो रसास्वादन चन्द्र सिंह ने घनो चोखो करयो, आग्ली पीढ़ी ई रस रो रसास्वादन जरुर कर सी, चंद्रसिंह रो घनो घनो आभार

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कुं.चन्द्र सिंह "बादळी"