कुं. चन्द्र सिंह "बादळी"

जीवन परिचय

*जन्म -27 अगस्त 1912
*देहावसान -14 सितम्बर 1992

Saturday, February 6, 2010

’स्व.चन्द्र सिंह जी बिरकाळी’ की 15 वीं पुन्य तिथि पर कार्यक्रम आयोजित

हनुमानगढ 14 सितम्बर। कवि चन्द्र सिंह बिरकाळी भाव शिल्प स्तर के अनूठे कवि है,जिन्होंनेलूबादळीजैसी कालजयी रचनाओं से राजस्थानी साहित्य को समृद्घ किया है। ये विचार राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कार्यवाह सचिव पृथ्वी राज रतनू ने शुक्रवार को नोहर तहसील के गांव बिरकाळी गांव में आयोजितस्व.चन्द्र सिंह जी बिरकाळीकी 15 वीं पुन्य तिथि पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये। वरिष्ठ कथाकार डा.भरत ओला ने राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी तथा स्व.चन्द्र सिंह बिरकाळी साहित्य संस्थान द्वारा आयोजित समारोह में कवि चन्द्र सिंह जी के साहित्य अवदान पर पत्रवाचन करते हुए स्व.चन्द्र सिंह को सच्चा कवि बताया। उन्होंने बिरकाळी के माध्यमिक विद्यालय का नाम कवि चन्द्र सिंह बिरकाळी के नाम पर रखकर उनकी स्मृति चिर स्थाई बनाने की आवश्यकता जताई। कार्यक्रम में अतिरिक्त मुख्य न्यायायिक मजिस्ट्रेट श्री हरिनारायण सारस्वत, अपर जिला मजिस्ट्रेट श्री विष्णुदत्त शर्मा ने भी स्व. बिरकाली के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए विधिक साक्षरता पर विचार व्यक्त किए।

कथाकार मदन गोपाल लढढा ने भावी पीढी को सार्थक साहित्य से जोडकर परम्पराओं के संरक्षण की आवश्यकता जताई। बिरकाळी साहित्य संस्थान के संरक्षक बच्चन सिंह ने संस्थान के साहित्यिक गतिविधियों का विवरण देते हुए कहा कि चन्द्र सिंह जी के जीवन के अनछुए पहलुओं को उजागर किया। कार्यक्रम में बाल साहित्यकार दीन दयाल शर्मा,पूरन शर्मा ’पूर्ण’,पवन शर्मा,सतपाल खाती,हरी शेखर शर्मा आदि ने भी विचार व्यक्त किये।
बिरकाळी के माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक किशोर सिंहव संस्थान के अध्यक्ष शंकर सिंह बीका ने अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर राजस्थानी साहित्य में शोध करने पर डा.भरत ओला का नागरिक अभिनन्दन किया। कार्यक्रम में सरपंच बेगाराम,उपसरपंच बन्ने सिंह, व बडी संख्या में रचनाधर्मी तथा ग्रामीण उपस्थित थे। संचालन व्याख्याता शिव राज भारतीये ने किया। इससे पूर्व कवि स्व.चन्द्र सिंह बिरकाळी के चित्र पर पुष्पअर्पित कर उन्हें श्रद्घाजंलि दी।

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